अंडमान-निकोबार में बाहरी समुदायों का दबदबा और PRE42 की चुनौती

अंडमान-निकोबार में बाहरी समुदायों का दबदबा और PRE42 की चुनौती

भूमिका

अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह सिर्फ सुंदर समुद्र तट और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए ही मशहूर नहीं है, बल्कि यहाँ का इतिहास और समाज भी उतना ही खास है।
1857 के बाद, ब्रिटिश सरकार ने इन द्वीपों को दंड कॉलोनी (Penal Settlement) बनाया और देश के अलग-अलग हिस्सों से कैदियों को यहाँ भेजा। इन्हीं कैदियों और उनके परिवारों के वंशज को आज PRE42 समुदाय कहा जाता है — ये इस द्वीप के असली निवासी और इतिहास के मूल स्तंभ हैं।

लेकिन आज, PRE42 समुदाय अपने ही द्वीपों में एक कठिन स्थिति का सामना कर रहा है — क्योंकि आज यहाँ की राजनीति, अर्थव्यवस्था और सामाजिक व्यवस्था पर मुख्य रूप से तमिल, तेलुगु, और बंगाली समुदाय का दबदबा है।


तमिल, तेलुगु और बंगाली का आगमन

आज़ादी के बाद, भारत सरकार ने द्वीपों की जनसंख्या बढ़ाने और खेती-बाड़ी को प्रोत्साहित करने के लिए मुख्य भूमि से लोगों को यहाँ बसाया।

तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल से हजारों परिवार सेटलर स्कीम के तहत लाए गए।

इन समुदायों को खेती की ज़मीन, सरकारी नौकरियाँ और व्यापारिक अवसर मिले।

समय के साथ, इनका आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव बढ़ता गया।

दबदबा कैसे बना?

1. राजनीति में पकड़ – विधानसभा से लेकर पंचायत तक, तमिल, तेलुगु और बंगाली उम्मीदवार कई अहम पदों पर पहुँचे, जबकि PRE42 का प्रतिनिधित्व कम होता गया।


2. आर्थिक नेटवर्क – मछली व्यापार, नारियल, निर्माण, किराना, ठेकेदारी और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में इन बाहरी समुदायों का मजबूत कब्ज़ा।


3. भाषाई और सांस्कृतिक नेटवर्क – अपनी बड़ी आबादी और संगठित समुदाय के कारण, सरकारी दफ्तरों, स्कूलों और बाजारों में इनकी भाषा और संस्कृति का दबदबा।


4. सोशल यूनिटी – बाहरी होने के बावजूद, तमिल, तेलुगु और बंगाली समुदाय आपस में आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक मामलों में मजबूती से एक-दूसरे का साथ देते हैं, जिससे असली द्वीपवासी PRE42 समुदाय के लिए प्रतिस्पर्धा कठिन हो जाती है।


PRE42 समुदाय पर असर

रोज़गार में पिछड़ना – सरकारी नौकरियों और व्यवसायिक अवसरों में PRE42 की भागीदारी लगातार घट रही है।

सांस्कृतिक पहचान का खतरा – PRE42 की अनोखी बोली, परंपराएँ और इतिहास अब हाशिए पर चले गए हैं।

जमीन और संपत्ति का नुकसान – कई PRE42 परिवार आर्थिक दबाव या प्रभावशाली बाहरी लोगों की रणनीतियों के कारण अपनी पैतृक ज़मीन से हाथ धो बैठे।

राजनीतिक प्रतिनिधित्व की कमी – पंचायत, नगरपालिका और विधानसभा में PRE42 की आवाज़ कमज़ोर होती जा रही है।


मौजूदा स्थिति

आज अंडमान-निकोबार की सामाजिक और राजनीतिक तस्वीर पर तमिल, तेलुगु और बंगाली समुदाय का गहरा प्रभाव है। PRE42, जो इस द्वीप के पहले स्थायी नागरिक थे, अब संख्या में कम और प्रभाव में और भी कम होते जा रहे हैं।


आगे का रास्ता

1. एकजुटता – PRE42 समुदाय को अपने अधिकार और पहचान की रक्षा के लिए एकजुट होना होगा।


2. शिक्षा और कौशल विकास – आधुनिक शिक्षा, तकनीकी ज्ञान और व्यवसायिक कौशल से युवा पीढ़ी को मजबूत बनाना होगा।


3. राजनीतिक भागीदारी – पंचायत से लेकर विधानसभा तक सक्रिय भागीदारी और अपने प्रतिनिधियों को आगे लाना ज़रूरी है।


4. संस्कृति का संरक्षण – PRE42 के इतिहास, त्योहार, भाषा और परंपराओं को दस्तावेज़ और कार्यक्रमों के माध्यम से अगली पीढ़ी तक पहुँचाना।

Comments

Popular posts from this blog

PRE42 Community – Our Past, Present, and Future

PRE42 Community – हमारा अतीत, वर्तमान और भविष्य

Forgotten Roots: The Story of PRE42 in Andaman and Nicobar Islands