अंडमान और निकोबार में बाहरी बसवासियों का दबदबा और PRE42 समुदाय की अनदेखी

अंडमान और निकोबार में बाहरी बसवासियों का दबदबा और PRE42 समुदाय की अनदेखी

✍️ लेखक: विक्रम
📅 अगस्त 2025


🔷 भूमिका

अंडमान और निकोबार द्वीप एक सुंदर जगह है, लेकिन यहां की असली कहानी बहुत लोगों को नहीं पता। आज हम बात कर रहे हैं PRE42 समुदाय की, जो यहां के पुराने और स्थानीय लोग हैं। लेकिन अब इनकी पहचान, हक और सम्मान धीरे-धीरे छिनते जा रहे हैं।


🔷 PRE42 समुदाय कौन हैं?

PRE42 समुदाय वे लोग हैं जो 1942 से पहले अंडमान और निकोबार में बस गए थे। इनमें वे परिवार भी शामिल हैं जिनके पूर्वज अंग्रेजों के ज़माने में यहां जेल में काम करते थे या यहां पैदा हुए थे। इन्होंने इस द्वीप को अपने खून-पसीने से बसाया और यहां की नींव रखी।


🔷 बाहर से आए लोग – तमिल, तेलुगु और बंगाली

आजादी के बाद भारत सरकार ने अंडमान को बसाने के लिए बाहर से लोगों को यहां लाकर बसाया। इनमें मुख्य रूप से:

तमिल (श्रीलंका और दक्षिण भारत से आए)

तेलुगु (आंध्र प्रदेश से आए)

बंगाली (बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल से आए)


इन लोगों को यहां ज़मीन, घर, और सरकारी मदद दी गई ताकि ये अंडमान में एक नई ज़िंदगी शुरू कर सकें।


🔷 दबदबा और एकाधिकार (Monopoly) कैसे बना?

अब हालत ये है कि:

पंचायत, नगर परिषद और राजनीति में ज़्यादातर सीटें इन्हीं बाहरी लोगों के पास हैं।

सरकारी नौकरियों में PRE42 समुदाय के लोगों की संख्या बहुत कम है।

स्कूल, अस्पताल, और सरकारी योजनाओं में भी PRE42 की अनदेखी होती है।

व्यापार, मार्केट और ज़मीन का मालिकाना हक भी ज़्यादातर बाहरी लोगों के पास है।


🔷 PRE42 की समस्याएं

नौकरियों में कोई आरक्षण या खास योजना नहीं।

कोई बड़ा नेता या प्रतिनिधि नहीं जो इनकी बात सरकार तक पहुंचाए।

ज़मीन के मामले में ठगे जाते हैं, कई बार शादी के बहाने ज़मीन हड़प ली जाती है।

नई पीढ़ी को अपने इतिहास और संस्कृति की जानकारी नहीं मिलती।


🔷 एक समुदाय जो भुला दिया गया

PRE42 समुदाय ने अंडमान को बनाने में बड़ी भूमिका निभाई, लेकिन आज ये खुद अपने ही द्वीप में पराये हो गए हैं। इनकी आवाज़ को कोई नहीं सुनता, और इनके योगदान को कोई नहीं मानता।


🔷 अब क्या ज़रूरी है?

1. PRE42 के लिए शिक्षा, नौकरी और ज़मीन के मामलों में विशेष अधिकार मिलने चाहिए।


2. इनके लिए अलग से सरकारी योजना बननी चाहिए।


3. इनके इतिहास और संस्कृति को स्कूलों में पढ़ाया जाए।


4. पंचायत और नगर परिषद में इनका प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो।



🔷 निष्कर्ष
 "जिन्होंने अंडमान को बसाया, आज वही लोग अपने अधिकार के लिए संघर्ष कर रहे हैं।"

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